Ek chithi or One letter,

Today I want to share this story.Actually this story is written by me fortunately published in a Hindi Magazine .
"तड़के मां ने मुझे जगाया और कहा"रश्मि उठो ! तुम्हारी निर्मला मैडम का देहांत हो गया है।"
मैंने सोचा ,"कोई खराब सपना है।"सुबह की नींद सबको प्यारी लगती है।"पता नहीं, कौन -सी मैडम!"बिस्तर पर ही लेटे-लेटे मैं सोचने लगी।
मां ने फिर आवाज़ लगाई। आखिर उठना ही पड़ा। निर्मला मैडम हमारी पड़ोसी थीं। हमारे मकान के पास ही उनका मकान था।वह रिटायर्ड टीचर थीं। पहले वह हमारे कॉलेज में मैथ पढ़ाया करती थीं। जब वह अपने ट्यूशन पढ़ाने वाले बच्चों पर गरजतीं,तभी हम उनकी आवाज़ अपने घर से सुन लिया करते थे। उन्हें केवल कुछ ही पड़ोसी जानते थे। मगर आज निर्मला मैडम का देहांत हो गया था । कोई भी बच्चा अनाथ नहीं हुआ।न ही कोई पति को पत्नी वियोग का शोक हुआ। निर्मला मैडम चुपचाप खत्म हो गईं। बार-बार मैं सोचकर परेशान थी,"इतना बड़ा घर और एक अकेली औरत, कैसा लगता होगा।हर कमरा‌ सजा हुआ था।हर ‌कमरे‌ में सभी प्रकार की सुविधाएं।हर‌ रोज़ काम वाली बाई झाड़ू -पोछा करती होगी। बाहर इतना बड़ा लॉन, लेकिन वह भी सूना पड़ा था। यहां सिवाय चिड़ियों के कोई और नहीं आता होगा।ऐसा कहा जाता है कि गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता है,न कोई दोस्त लेकिन मैडम के ‌पास पैसा तो था। अपने स्टूडेंट सर्किल में लोकप्रिय भी थीं । फिर भी मैडम अकेली ? आजकल क्यों हो गया है ऐसा जीवन? अकेलेपन की पीड़ा और चुप्पी में डूबा जीवन। मैडम के दो बेटों  में एक विदेश में रहता है, दूसरे को ‌भगवान ने असमय बुला लिया अपने पास।लोग घर में टीवी के साथ रह लेते हैं। कुत्ते -बिल्लियो के साथ रह लेते हैं,पर बुजुर्गों के साथ रहने में कष्ट होता है।"
थोड़ी ही देर में रिश्तेदार इक्ट्ठा होने ‌लगे । इन्हीं रिश्तेदारों में से एक अंकल काफी दुखी दिख रहे थे। तभी अचानक किसी पड़ोसी ने इन अंकल से सवाल किया,"आज से पहले मैंने आपको यहां आते हुए नहीं देखा?"
"अरे अपनी जिंदगी के झमेलों से फुर्सत कहां मिलती है, वरना क्यों नहीं आता ? निर्मला का पति हूं मैं। भगवान की कसम जैसे ही मुझे पता चला कि निर्मला नहीं रही,मेरा कलेजा फट सा गया।"
आज रश्मि को पता चला कि यह आदमी मैडम के पति हैं, जो मैडम को कितने साल पहले छोड़कर किसी अन्य औरत के साथ दिल्ली में रहने लगे थे। तभी सात-आठ साल की बच्ची मैडम के पति के पास भागती हुई आई,"बड़े पापा, भगवान जी के फोटो के पास एक चिट्ठी रखी मिली है।"
"हे भगवान! मैं निर्मला एक बार फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हूं कि मेरी गलतियों के लिए मुझे क्षमा करना और इस घर में कभी वापस नहीं भेजना।" 

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